जाने ज्योतिष के अनुसार जातक को होने वाले रोग - भाग २ !!

नेत्र रोग
नेत्र रोग सम्बंधित विचार सूर्यचन्द्रमा मंगल शनि और द्वितीय तथा द्वादश भाव से किया जाता है द्वादश भाव बांयें नेत्र का और द्वितीय भाव से दाहिने नेत्र का कारक होता है इसी प्रकार सूर्य दाहिने नेत्र का और चन्द्रमा बांयें नेत्र का कारक होता है |
सूर्य और चण्द्रमा के लिए वृषभ राशि का छठा अंश से दशम अंश तक अंध-अंश कहलाता हैअर्थात सूर्य या चन्द्रमा यदि जन्म के समय में इन अंशों में से किसी अंश में हो तो इस तरह का चन्द्रमा अंध-अंश-गत कहा जाता है इसी प्रकार मिथुन राशि का ९ अंश से १५ अंश तक अंध अंश कहलाता कर्क और सिंह राशि में १८वें २७वें और २८वें अंश को अंध-अंश कहा जाता है वृश्चिक राशि का पहला १०वां२७वांऔर २८वां अंश मकर राशि में २६ अंश से २९ अंश तक और कुम्भ राशि का ८वां१०वां १८वां एवं १९वां अंश को अंध अंश कहते हैं |

क्षीण  चन्द्रमा (कृष्ण पक्ष दशमी तिथि  से शुक्ल  पक्ष पंचमी तिथि तक ) वृषभ राशि के २१वां,२२वां और २९वां अंश को भी अंध-अंश कहते हैंतथा कर्क राशि का १९वां और २०वां अंश सिंह राशि का १०वां अंश से १६वां अंश तक कन्या का १९वां अंश से २१वां अंश तक धनु राशि का २०वां अंश से २३वां अंश तक और मकर राशि का १ला ,२रा ४था एवं ५वां अंश क्षीण चन्द्रमा के लिए अंधान्श कहलाता है|
     जब सूर्य अथवा चण्द्रमा जन्म के समय अंध अंश में रहता है तो जातक के नेत्र रोग की सूचना होती है |

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